लेखनी प्रतियोगिता -25-Jan-2023 गुलामी अभिशाप
छत्रपाल देश की अंग्रेजी सरकार में सरकारी नौकरी करता था। उसे देश के स्वतंत्रता सेनानियों से सख्त नफरत थी, क्योंकि ब्रिटिश सरकार से उसे मोटी तनख्वाह मिलती थी और एक सरकारी मकान भी मिला हुआ था। लेकिन वह अंग्रेजी सरकार की सरकारी नौकरी से सेवानिवृत्त होकर अपनी पत्नी दोनों बेटों के साथ अपना बुढ़ापे का बाकी जीवन बिताने अपने गांव जाता है। तो रेलवे स्टेशन पर एक अंग्रेज पुलिस अफसर खादी के कुर्ते पजामे बेच रहे एक बूढ़े व्यक्ति को बेल्ट से पीट रहा था। छत्रपाल अपना परिचय देकर उस अंग्रेज पुलिस अफसर से बूढ़े को पीटने से बचाने की कोशिश करता है।
लेकिन वह अंग्रेज पुलिस अफसर छत्रपाल को काला गुलाम भिखारी कहकर उसका बहुत अपमान करता है। लोगों की भीड़ और पत्नी बच्चों के सामने छत्रपाल बहुत अपमानित महसूस करता है। उस बूढ़े के ऊपर शोषण अत्याचार की सजा दिलाने के लिए उस अंग्रेज पुलिस अफसर की थाने में रिपोर्ट लिखवाता है। थाने का सबसे बड़ा अंग्रेज पुलिस अफसर छत्रपाल की बात सुनने के बाद उसे अपमानित करके थाने से भगा देता है। जीवन में पहली बार इतना बड़ा अपमान सहने के बाद छत्रपाल परिवार के साथ अपने गांव पहुंच जाता है।
गांव में दूसरे दिन उसके मुंह बोले भाई की बेटी की शादी थी। पढ़ा लिखा और समझदार होने की वजह से गांव का मुंह बोला भाई अपनी बेटी की शादी की सारी जिम्मेदारी छत्रपाल को सौंप देता है। रात को जब बरात आने के बाद 5 गांव का जमीदार अंग्रेज कलेक्टर के दफ्तर के कर्मचारीयों के साथ दुल्हन और उसके पिता को गिरफ्तार करके अंग्रेज कलेक्टर की कोठी पर लेकर जाता है। छत्रपाल भी उनके पीछे पीछे जाता है। और वहां अंग्रेज कलेक्टर से विनती करके पूछता है "सब को पकड़कर लाने का क्या कारण है।" जमीदार कहता है "दुल्हन के पिता ने सरकार के आदेश अनुसार अफीम की खेती नहीं की और ना ही समय पर लगाना दिया दूसरा शादी से पहले 5 गांव की लड़कियां अंग्रेज कलेक्टर साहब की एक रात की दुल्हन बनती है।"
जमीदार के मुंह से यह बात सुनकर छत्रपाल जमीदार के मुंह पर थप्पड़ मार देता है। छत्रपाल दुल्हन और उसके पिता को नहीं बचा पाता। और पुलिस उसे जेल में बंद कर देती है। पूरी रात अंग्रेज कलेक्टर और जमीदार उसे बर्फ की सिल्ली पर लिटवा कर पुलिस वालों से खूब पिटवाते हैं। और सुबह पुलिस की जीप उसे गांव के बाहर फेंक जाती है।
दो घटनाओं के बाद छत्रपाल समझ जाता है कि अंग्रेजों का मकसद सिर्फ हमारे देश का शोषण करके सारा धन अपने देश में ले जाने का है। और गुलामी संसार की सबसे बड़ी अभिशाप है। पूरी तरह तंदुरुस्त होने के बाद छत्रपाल स्वतंत्रता सेनानियों की मदद करना शुरू कर देता है। छत्रपाल सबसे पहले उस जमीदार और अंग्रेज कलेक्टर से माफी मांगता है। और जमीदार को अपनी पुरानी नौकरी का परिचय देकर उसकी हवेली में मुनीम की नौकरी पर लग जाता है। छत्रपाल को जमीदार लगान और किसानों से कर्ज वसूलने का काम देता है। कुछ ही महीनों में छत्रपाल किसानों से अच्छे संबंध बना लेता है। और अंदर ही अंदर जमीदार और अंग्रेज कलेक्टर के शासन को खोखला करने लगता है।
वह किसानों और स्वतंत्रता सेनानियों का संपर्क करा देता है। सारे किसान उसे अपनी हैसियत के अनुसार जो भी धन आजादी की लड़ाई के लिए देते थे, वह उसे सही सलामत स्वतंत्रता सेनानियों की आजादी की लड़ाई की मदद के लिए उनके पास पहुंचा देता था।
जमीदार और अंग्रेज कलेक्टर को अपने जाल में फंसाने के लिए वह अंग्रेज कलेक्टर के सामने कुछ स्वतंत्र सेनानियों को एक पैसे से भरा थैला देता है। और जमीदार से कहता है कि "तुम्हारी बेटी जब कॉलेज से घर आएगी तो अंग्रेज कलेक्टर उसे उठाकर अपनी सरकारी कोठी पर ले जाकर उसकी इज्जत लूटने की योजना बना रहा है।" और कहता है "वह अभी मेरे सामने तुम्हारी बेटी के कॉलेज की तरफ गया है।" जमीदार उसी समय अपनी बेटी को बचाने उसके कॉलेज की तरफ चला जाता हैै।
और अंग्रेज कलेक्टर से माफी मांग कर जमीदार को अंग्रेज सरकार का गद्दार बताता है। और कहता है "जमीदार कुछ महिला स्वतंत्रता सेनानियों से अपनी बेटी के कॉलेज के पास मिलने वाला है। उसकी बेटी भी स्वतंत्रता सेनानियों से मिली हुई है। अगर जमीदार को रंगे हाथों पकड़ना है तो मेरे साथ चलो।"
छत्रपाल ने पहले से ही जमीदार अंग्रेज कलेक्टर से पीड़ित लड़कियों किसानों को महिला कॉलेज के सामने बुला रखा था। जैसे ही जमीदार अंग्रेज कलेक्टर अपने अपने आदमियों के साथ वहां पहुंचते हैं, छत्रपाल जोर जोर से यह नारे लगाता है भारत मां की जय इंकलाब जिंदाबाद नारे लगाने के बाद कहता है इस मातृभूमि के दोनों दुश्मनों को आज अंत कर दो उसी समय सारे किसान दोनों को घेर लेते हैं। दोनों के नौकर कर्मचारी वहां से भाग जाते हैं।
और पीड़ित लड़कियां दोनों को पीटना शुरु कर देती हैं। अंग्रेज कलेक्टर के आदमी जैसे ही पुलिस को लेकर आते हैं, उसी समय लड़कियों के कॉलेज की छुट्टी हो जाती है। कॉलेज की लड़कियों के विरोध की वजह से जमीदार और अंग्रेज कलेक्टर को पुलिस बचा नहीं पाती। दोनों के मरने के बाद किसान उनकी लाशों को पेड़ से लटका देते हैं।
छत्रपाल को इस साजिश के इल्जाम में पुलिस पकड़ लेती है। छत्रपाल को कोर्ट फांसी की सजा सुनाता है। लेकिन उसकी फांसी से पहले ही देश आजाद हो जाता है। और छत्रपाल आजाद हो जाता है। छत्रपाल आजाद होने के बाद गांव वालों से कहता है अंग्रेजी नौकरी से सेवानिवृत्त होने के बाद मैंने जो मातृभूमि की सेवा में जीवन जिया वही मेरे जीवन का यादगार सफर रहा है।
Vedshree
01-Feb-2023 08:26 AM
Bahut achhi rachana
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Pranali shrivastava
31-Jan-2023 07:04 PM
V nice
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अदिति झा
26-Jan-2023 07:44 PM
Nice 👍🏼
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